Wednesday, November 18, 2020

बचपन वक्त से पहले ही बडा हो जाता है!तो....


बचपन वक्त से पहले ही बडा हो जाता है!तो....


     बचपन की नटखट यादे हर इंसान जब तक उसकी जिंदगी होती है,वो कई बार याद कर जी लेता है.

कभी माँ बाप और रिश्तेदारों के संग,कभी दोस्तों के संग,कभी आस पड़ोस, मोहल्लेवालो के संग,स्कूलों के दोस्त,मास्टरों के संग,खेल कूद के मैदानों संग.अच्छा हो या हालात से बदतर बचपन हर शख्स यादगार बना ही जाता है.जिसे याद कर कोई भी इंसान मायूस नही होता.इंसान की खासियत तो ये भी है के,वो अपने साथ अपनो का औलाद,भाई बहन,नाती पोती,भी बचपन आसपड़ोस के जो जो करीबी है,जानवरों हो परिंदों सभी का बचपन यादों में बार बार यादों बस जाता है.

     हाथ मे बहोत सारे गुब्बारे (बलून,फुग्गे)लिए लड़की बार बार मेरे शॉप के सामने के रास्ते से इधर से उधर गुजर रही थी. हर बार शॉप में खड़े कस्टमर को देख खड़े रहती शायद कोई गुब्बारा उसीसे खरीदे.हर बार वो आती,यो मैं अपने काम मे व्यस्त रहता.मगर उसके हाथ मे पीले रंग के मुस्कुराते गुब्बारे उस लड़की के आने जानेवाली हरकत का अहसास कराते.अब मैं थोड़ीसी फुरसत में था.फिर वो लड़की मुस्कुराते गुब्बारों को हाथ मे शॉप के सामने आकर रुक गयी.उसकी के साथ एक कस्टमर भी आ गया. गुब्बारेवाली लड़की ने गुब्बारा खरीदने के लिए हाथों से ईशारे से चेहरे पर मासूमियत दिखाई दे रही थी.शायद उसी मासूमियत को देखकर शॉप की पायरी चढते कस्टमर ने गुब्बारेवाली लडकी से गुब्बारे की कीमत पूछी,तो लड़की ने दो उंगलियाँ दिखाई. शॉप की पायरी चढ़ते वक्त गुब्बारेवाली लड़की उसके पीछे थी,इसलिए उसे कुछ समझ मे नही आया. 

     गुब्बारेवाली लडकी ने शॉप में खड़े कस्टमर को हाथ हिलाकर गुब्बारे लेने के लिए इशारे में कहा, फिर कस्टमर ने कीमत पूछी अब के बार लड़की ने फिर दो उंगलिया दिखाई. अब उसकी हरकत मेरी समझमे आया की गुब्बारेवाली लड़की जबान से बोल नही सकती.कस्टमर के भी बात समझमे आयी,गुब्बारे बेचनेवाली मासूम लड़की मुक्की है. ये अहसास होते ही दयाभाव  रहम हमारे दिल पे तारी हो गया.क्यो की हमे अपने बच्चे याद आये और उनका और हमारा बचपन.

     अच्छे कमाने की उम्र तक हमारे बच्चों को या हमे हमारे माँ बाप ने भीड़वाले रास्तो पर जाने से मना करते थे.आज भी हम अपने बच्चो को संभाल कर चलने की हिदायत देते है.दीपावली फेस्टीवल होने के कारण सड़क पर कपड़ा बाजार को खरेदी जाने आने वाले की ट्राफिक थी  ये लडक़ी तो बार बार मेरे शॉप के सामने के भिड़ावाली सड़क से अकेले ही हाथ मे गुब्बारे बेचने के लिए आ जा रही थी. मैने लड़की के हाथ मे गुब्बारे पर नजरें डाली (जो फोटो में दिखाई दे रहे है) तो लग रहा था,वो मुझसे मुस्कुराते हुए मानो समझा रहे थे.कभी बचपन वक्त से पहले बडा हो जाता है!तो....


अफजल सय्यद

12/11/2020

फोटो सैमसंग जे 2

अहमदनगर

 

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