Tuesday, April 14, 2020

डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर से एक नन्ही सी बच्चीकी दिलकी बात...



डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर से एक नन्ही सी बच्चीकी दिलकी बात...

     "मैं महसूस करता हुँ कि, संविधान साध्य(काम करने के लायक )है.यह लचीला होने के साथ ही इतना मजबूत है के देश की शांति और युद्ध दोनो समय जोडकर रख सके. वास्तवमें मैं कहता अगर कभी कुछ भी गलत हुआ,तो इसका कारण यह नहीं होंगा कि हमारा संविधान खराब था बल्कि इसका उपयोग करनेवाला मनुष्य अधर्मी था."डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकरजी आपने  भारतीय संविधान के अध्यक्ष के नाते संसदभवनमें  भारतीय संविधान पेश करते कही थी.
     "भारतका संविधान भले ही जाती के आधार पर भेदभाव करने की अनुमति ना दे,लेकिन आजादीके 67 वर्षोसे अधिक समय गुजरने के बावजूद आज भी जाती के आधार पर लोगोमे भेदभाव हो रहा है."यह बात जब समान अवसर (equal opportunity commission) आयोग अपनी रिपोर्ट में लिखती है. इतना ही नही देश की सर्वोच्च अदालत (suprim court) भी बयान देती है,बढ़ती हुई असहिष्णुता के वजह से अभिव्यक्त स्वातंत्र धोके में है.आज आपकी जयंती के जरिये आप को याद किया जारहा है.
    कोरोना जैसे महामारी की देश मे कोहराम मचा रखा है.जिस वजह से देश २८ दिनों से संचारबंदी लगी हुई है.देश मे कोई भी धार्मिक  हो या सार्वजनिक प्रोग्राम नही मनाया गया.राष्ट्रीय आपदा को समझते हुए सभी भारतीय नागरिकोने सरकार के आदेश को काबुल कर किया.आज सोशल मीडिया को देख रहा था.बहोत सारे जनजाति के लोगोने आपके जयंती के शुभेच्छा के पोस्ट वायरल किये दिखाई दिये.आज की हालात को देखते हुए मैं सामाजिक प्रतिनिधि (जो मुझसे इत्तेफाक रखते है)की हैसियत कुछ दिल से दिल की बात करना चाहती हूँ.
      पिछले भी देश मे करोना महामारी की वजहसे पूरा देश आपत्ति की हालात से गुजर रहा हैं. ऐसे वक्त में भी समान अवसर आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक आज भी जाति के आधार पर लोगोमे भेदभाव हो रहा है. यह बहोत अफसोस वाली बात है.जिसकी खास वजह सियासी (पॉलिटिकल) आतंक है.ये दहशत इतनी है कि, स्कूलोमे एक भी प्रोग्राम हो तो नगरसेवक को चीफ गेष्ट आमंत्रित करना पडता है.साहित्य संमेलन के लिए चीफ मिनिस्टर, खेल की स्पर्धा या खिलाड़ी का सन्मान पॉलिटिकल लीडरो के हाथों से करवाया जाता है.धार्मिक प्रोग्राम हो या शादीब्याह हो पॉलिटिकल लीडरो के आशीर्वाद बिना हो ही नही पाता.आप जैसे महान  नेता की जयंती और पुण्यतिथिभी इन लीडरो के बिना मनाई नही जाते.यहाँ तक के आपको भी जाती जाती में बाट दिया पॉलिटिक्स केलिए यानी राजकीय स्वार्थ के लिए.
    २०१९ चुनाव से पहले प्रधानमंत्री को अपने भाजपा के नेताओं को सूचना दी जाती है कि दलित समाजसे संपर्क बढ़ाओ.और काँग्रेस जैसी धर्मनिरपेक्ष पार्टियाँ को सॉफ्ट हिंदुत्व का सहारा लेना पड़ता है.दिल्ली चुनाव में हनुमानजी के नामपर सियासत कराई गई.राम के नाम पर भी सियासत जारी है.भाजपा की महिला नेता का २०१९ के पहले दलित संपर्क के प्रधानमंत्री के सूचना पर बयान था,"दलितोके घर भोजन करने मैं  प्रभु रामचंद्र नही हूँ" बाबासाहेब ये देखकर बडा अफसोस होता है.धार्मिकता अक्सर महिलाओमे होती है.लेकिन यह असरात महिलाओंमें भी सार्वजनिक रूप से दिखाई देने लगे है. मराठा महिलाने रसोई पकाने खिलाफ ब्राह्मण महिला होलेबाई ने धार्मिक कारण देते हुए केस दर्ज करवाई थी.क्योके महिला ब्राह्मण नही थी. अजब तो ये था के पुरोगामी कहनेवाले और बातबात पर भारतीय संस्कृति की बात करनेवालो के लब खामोश थे.
      सर्वोच्च न्यायालय के बयान के मुताबिक यह असहिष्णुता ही है.बाबासाहेब आपको ये सब सुनकर तकलीफ हो रही होगी.देश कोरोना महामारिसे परेशान है, राजस्तान ने एक बच्चा माँ बाप की जाती मुसलमान होने की वजह से डॉक्टर डिलीवरी करने से इनकार कर देता है और बच्चा मार जाता है.हमारे शहर अहमदनगर में डॉक्टर ने मुस्लिम महिला की डिलीवरी करनेमे साफतौर पर असमर्थता दिखलाई.यहाँ तक के हेल्पलाइन पर नियुक्त कर्मचारीने मुस्लिम बहुल इलाके को गोलिसे मार देनेकी बात पालिका कर्मचारी कह डाली. कई फेरीवालों को मारपीट की जा रही है.मोबलिंची में बहोतसे मुसलमान अपनी जान गवा बैठे.जरा जारी बात में गद्दारो का लकब लगाया जाता है.हक की बातोंपर बदनाम किया जाता है.देश की गुप्तहेर एजेंसी कहती है.तबलीग जमात अमन का काम करनेवाली जमात है.उसके नाम से वबाल मीडिया ही नही नेता भी मचा रहे है.देश की फिजा को मुसीबतों में खराब कर रहे है. डॉ. बाबासाहेब आप ने जो बात कही के संविधान का उपयोग करनेवाले मनुष्य(सरकारे)अधर्मी है.
    डॉ. बाबासाहेब आज मैने अपनी हाल का रोना नही है रोना.घर नही, कपड़े नही, खाने को नही.यह तो मिल जायेंगे, जब सियासतदान(राजकारणी)जात पात की जहर फैलाना छोड़ देंगे. इसलिए ये बात भी मैंने आपसे की,
 चलो कुछ तो असर करेंगी यह नेक ख्वाहिश आपके जयंती का अवसर पर की है.इसी उम्मीद के साथ जातपात का जहर कम होंगा.
      आज हम भारतीयों का सर शर्मसार है.देशके कोरोना महामारी का मरीज तो अच्छे हो रहे है,अब आप ही बताओ, जातिपातीके बीमारी का क्या इलाज है?
 पूछता है भारत एक बच्ची के जुबानी !

अफजल सय्यद, न्यूज व्हलुज, अहमदनगर, महाराष्ट्र.

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