Saturday, April 25, 2020

लॉकडाउनमें ससुराल में फंसे जवाई की दास्तान


जमाई बेटी की हालत, मरता क्या न करता!लॉकडाउनमें ससुराल में फंसे जवाई की दास्तान....

              (सत्य घटना पर आधारित )
अपना जमाई गर पुणे या मुंबई में रहता हो और बड़ी तनखा (पगार, सैलरी) लेता हो,या बड़ा बिजनेसमैन हो,या सरकारी नौकरी हो,अच्छे कंपनी में परमानेंट जॉब हो,तो जाने ससुराल समेत सारे गाव केलिए बडा सन्मान और चर्चा का विषय होता है. जब कभी वो गावं में आता हो,किसीभी जाती धर्म का हो गाव के बड़े बडी इज्जत के साथ जवाई,दामाद और छोटे भाईजान,भाई राजा कहते हुए अदब आदर के साथ खैरियत पूछते है. सारे गांव के बुजुर्गों को सासरे और नवजवानों को साले देखकर जमाई को भी अजीब सा महसूस होता है.जमाई राजा की खातिरदारी को कदम कदम पर हर कोई करने को तैयार रहता है. भाईजान चाय लेंगे क्या ? ना कहते, कॉफी,दूध,इस पर भी ना भाईजान की ना सुनते, कोल्ड्रिंक की फरमाइश आती है. अजीब तो भाईजान किसी और के साथ होटल में बैठे होते है, तीसरा भाईजान से हाथ कर बिल दे दिया है,यह इशारा किये,आज के दिन मुकाम से है ना? ये सवाल किए ,शाम को मिलते है!यह कहता हुआ निकल जाता है.
कभी दामाद गर अपनी बीवीके साथ ससुराल के घर से बाहर ससुराल के करीबी रिश्तेदार से मिलने निकलता है,तो आसपड़ोस की बुजुर्ग औरतें भी अपने सर पर पल्लू लेती है और खैरखैरियत पूछकर चायपाणी केलिए आमंत्रित करती है.मोहल्ले की सारी औरते और लड़कियां मुस्कान और अचरज भरे नजरोसे झाँककर देखती रहती है.जिसपर भी नजर पड़ती है,हर कोई मुस्कुराते नजर आता है. बेटी दामाद के ससुरालके रिस्तेदारोकी दावत पर किसे हा कहे बड़ा मुश्किलसा होता है.
लेकिन कोरोना याने कोविड-19 महामारीने पुणे मुंबई के जमाई ससुराल में नजर आने पर,जमाई को गाँवसे बाहर कर गुजरने करने केलिए गाँववालों की मांग पर हो रही लड़ाई है.ऐसी एक जवाई राजा की ससुराल में कोविड-19 के वजह से अचानक प्रधानमंत्री घोषित लॉकडाउन के कारण ससुराल में अटके दामाद की परिस्थिति सामने आयी है.
          *उसका छोटी बात में वर्णन,*
कोरोना (कोविड-19),महामारी के चीन,इटाली, स्पेन में हो रहे फैलाव के और मरनेवालो की तादाद के बारे में कुछ चर्चा थी. अब वो भारत मे कुछ मरीजो का निदान पर भी बाते हो रही थी.१३ मार्च को केंद्र के लॉकडाउन की जरूरत नही की प्रेस से लेकर २३ मार्च २०२०के मध्यप्रदेश भाजपा के मुख्यमंत्री की शपथ तक की चर्चा मीडियामें थी. तो मेरे कथन का जमाई भी अपने बीवीको लेकर अपनी ही फोर व्हीलर लेकर ससुराल लॉकडाउन से एक दिन पहली शाम जा पहोंचा. रात प्रधानमंत्री ने न्यूज चैनलों पर आकर किसीभी तरह की पूर्वसूचना न देकर अचानक देश भरमे लॉकडाउन घोषित कर दिया.साथ सूचना भी दी है.जो व्यक्ति जहाँ हो वही रुक जाए.
खबर को सुनकर जमाइराजा के होश उड़ गये. वापस अपने घर कैसे लौटे की फिक्रमें दामाद था.रात जैसे तैसे गुजरी.न्यूज चैनल पर पुणे,मुंबई से ही खबरे चल रही थी,ससुराल में भी चर्चा आम हो रही थी.दामाद का दिन जैसे तैसा घरमे बैठकर गुजरा. पुणे वापस लौटने की हर उम्मीद टूटते ही जा रही थी.परेशानीसे दूर ससुराल के घर से बाहर जमाईने ने कदम रखा.आज हर नजर को कोरोना मरीज मानो जमाई ही लगा.गाँवका जमाई होने के नाते कुछ लोग खामोश बैठे,लेकीन जो लोग न्यूज चैनल देख पुणे मुंबई की बढ़ती करोनाग्रस्त की संख्या देख,जमाई के गाँव मे आने का कारण भी खोज रहे थे.इन चर्चा और शकभरी निगाहों से जमाई के साथ साथ ससुरालवाले भी परेशान थे.
जो गाँववाले जमाई के आने पर खुशामदीद कहते थे.आज मीडियाके खबरों के चलते नफरत भरी निगाहोसे देख रहे थे.जमाई  ससुराल से पुणे को निकलने की हर मुमकिन कोशिश में था.हकीकत ये थी के हर रास्ता बंद था. गाँववालो ने एक होकर फैसला किया,बाहरका कोई भी गाँवमे नही रहे.ससुरालवालोंको ये फैसला सुनाया गया.अब  बड़ी मुश्किल थी ससुरालवालोंके सामने, जावाई अकेला नहीं था.साथ बेटी और नाती थे.इनको कैसे गावके बाहर निकाला जाए. ससुराल वालोंने एक फैसला किया. गाँववालोने भी मिलाकर तय किया.जमाई,बेटी और नाती दूर खेत मे बनाये घर मे रहेंगे, वही खाना पकाएंगे और खायेंगे. ससुराल वाले दो चार दिन बाद किराणा और भाजीपाला पहोचाएँगे लॉकडाउन खत्म होने तक.जमाई बेटी की हालत मरता क्या न करता!

अफज़ल सय्यद,
एडिटर, न्यूज व्हलुज

No comments:

Post a Comment