Sunday, April 26, 2020



#_नफ़रत_ख़रीदोगे_मियाँ_साहिब__??

👉 जी हाँ सही पढ़ा.. बताओ ख़रीदोगे..कहाँ मिल रही है ??.. अरे कहाँ क्या आपके मुहल्ले में, आपकी गली में, आपके बराबर वाली दुकान पर और कहाँ..बस पैसा दो और नफ़रत लो... क्या कहा नहीँ समझे.?

👉 तो आइये समझते हैं, 35 दिन से चल रहे सख़्त लॉकडाउन के बावजूद आज मुल्क में कोरोना मरीज़ों की तादात लगातार बढ़ते हुए 26900+ और मौत का आंकड़ा 820+ हो चुका है और ये ख़तरा दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है.. लोगों को दूध और सब्ज़ी जैसी बुनियादी सामानों को हासिल न कर पाने वाली सख़्ती में अचानक एक ऑर्डर पहले रोज़े को आता है कि मुल्क भर में सभी तरह के सामान की दुकानें खोली जा सकेंगी

👉 अब क्रोनोलॉजी समझिए.. मुसलमान रमज़ान में आम दिनों के मुक़ाबले 3,4 गुना तक ज़्यादा ख़र्च करते हैं, ईद पर ग़रीब से ग़रीब मुसलमान भी नए कपड़े, जूते, फैशन व घरेलू सामान, और लज़ीज़ खानों से कोई समझौता नहीँ करता भले ही उसको ये सब करने के लिए किसी से भारी उधार ही क्यों न लेना पड़े

👉 और ऐसे में जब एक तरफ़ उनके धन्ना सेठों का माल दुकानों में सड़ रहा है और दूसरी तरफ़ अंधे ख़रीदार मुसलमानों की ख़रीदारी का सबसे माक़ूल वक़्त है तो फिर क्यों न सब दुकानों के खुलने की छूट दे दी जाती..और अब तो साहब ने रमज़ान की मुबारकबाद भी दे दी है.. यानी अब मुसलमान पिछले तमाम इल्ज़ाम, और साजिशें भुला देंगे और ख़ुशी से अपने त्योहार की तैयारी करेंगे..

👉 यानी पहले ऑर्डर किया जाएगा फिर माहौल नॉर्मल दिखाया जाएगा फिर रुका हुआ माल बेचा जाएगा फिर वो ही सब काम आपको कोरोना जिहादी बनाने के लिए इस्तेमाल किये जायेंगे फिर आप पर मुक़दमे किये जायेंगे जेल भेजा जाएगा और आप ने कहीँ उसका विरोध करने की गलती कर दी तो समझो पूरे मुल्क में तूफ़ान बरपा हो जाएगा और फिर उसके बदले में जगह जगह ग़रीब मुसलमानों को मारा जाएगा

👉 मगर रुकिए और जान लीजिए कि आने वाला वक़्त कोरोना का पीक टाइम होगा और उन हालात में खाना भी उनको नसीब होगा जिनकी जेब में पैसा होगा, इसलिए अपनी जेब का पैसा किसी धन्ना सेठ को फ़िज़ूल ख़रीदारी में देने से पहले सोच लेना कि कहीँ कल आपको किसी के सामने हाथ न फैलाना पड़े, क्योंकि मुश्किल का ये वक़्त बहुत लम्बा होने वाला है

👉 जान लीजिए कि कोरोना के पीक टाइम के लिए भी ऐसे ही एक गुनहगार चाहिए जैसे कोरोना के फैलने के लिए मरकज़ ढूंढ लिया गया था, और इस बार पूरी क़ौम इसकी ज़िम्मेदार बनने जा रही है अगर आपने फ़िज़ूलख़र्ची को बाज़ार में निकलने की हिमाक़त की तो, यानी पहले आपसे पैसा कमाया जाएगा फिर उन्ही दुकानों पर खड़ी चार बुर्क़ानशीं औरतें इतनी बार दलाल मीडिया पर दिखाई जाएंगी के ख़ुद आपको वो चार नहीं चार सौ लगने लगेंगी, फिर आप भी कोरोना की तबाही के लिए क़ौम को ऐसे ही ज़िम्मेदार मानने लगेंगे जैसे आज बहुत से पढ़े लिखे (दीनी ऐतबार से जाहिल) मुसलमान उसके फैलाव के लिये मरकज़ को मान रहे हैं

👉 जान लीजिए कि अभी तक जमातियों का शोर और उनकी तादात में कितनी हेरफेर और झूठ है वो उनको भी पता है जो जमात को बदनाम करने में दिन रात लगे हुए हैं अगर आपने अब पूरी तरह से फैल चुके कोरोना के दौर में बाज़ारों में निकलने की ग़लती की तो ये आंकड़े सच में बदल जाएंगे और पहले से कहीँ ज़्यादा बड़े होंगे, और आपके मुख़ालिफ़ उस दिन का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं

👉 जब आज के हालात में किसी मस्जिद में जमात से नमाज़ नहीं हो रही तो आने वाले और मुश्किल वक़्त में ईद की नमाज़ की उम्मीद लगाना पागलपन से कम नहीं होगा, और ईद का मतलब ईद की नमाज़ है न कि नए कपड़े और लज़ीज़ खाने, अगर इसके बावजूद आप बाज़ार में निकल कर फ़िज़ूलख़र्ची करते हैं तो यक़ीनन आप उस नफ़रत, ज़िल्लत और सज़ा के हक़दार हैं जो आपके सामने सर उठाये खड़ी हैं

👉 आज जब ग़रीब मुसलमान खाना खाने को तरस रहे हैं तब सलाहियत याफ़्ता मुसलमानों पर ये ज़रा भी जायज़ नहीं कि वो अपनी ग़ैरज़रूरी ख़्वाहिशात पर पैसा बर्बाद करें बजाए इसके कि वो पहले से कहीं ज़्यादा मदद करें उन मज़लूम मुसलमानों की जो अल्लाह से दुआ और आपसे मदद की उम्मीद कर रहे हैं

👉 इसलिए इतना सब जान लेने के बाद भी आप बाज़ारों में निकलते हैं तो फिर उसके बदले मिलने वाली नफ़रत ज़िल्लत और सज़ा का बचाव करने के लिए आपके पास कोई एक दुनियावी या मज़हबी वजह नहीं होगी, इसलिए वक़्त रहते हालात को समझिए और किसी साजिश में मत फंसिए, और होश व अक़्लमंदी से काम लीजिये, वरना आप अपना पैसा भी बर्बाद करेंगे, ज़िल्लत भी उठाएंगे, जेल भी जाएंगे, घर बीमारी भी लाएंगे और ग़द्दार भी कहलायेंगे

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