Thursday, April 23, 2020

यह सुरज रोज आता है,नया सवेरा लिए. काश के इंसान को बात समझे....



      यह सुरज रोज आता है,नया सवेरा लिए.
      काश के इंसान को बात समझे....

मै अल्लाह पर ईमान रखता हूं,
तुम अपने ईश्वर को पूजते हो,
दुनिया चलाने वाला एक ही है,
ये दिलसे सब लोग मानते है,
फिर सोंचो तो जरा.....
कभी सूरज ने जात धर्म भेदकर रोशनी बाटी है ?
फिर इंसान इंसान में नफरते फैला रहा है क्यों ?
      "आज सुबह का लाली फैलाता सूरज किस किसने देखा है? चलो हाथ उपर करो!"
     भाई आज कीसने देखा ये बात कह रहा हू, ऐसा भी नही है के मै भी रोज सवेरे उठता हूँ. हा कभी कभी आँख लग जाती है,तो कभी कभी सवेरे उठने ने घंटा अधा घंटे की देरी हो जाती है.सुबह के सुरज की लाली देखकर हर किसीके चेहरे पर सुरज की लालीसी खुशी खुद ब खुद फैल ही जाती है.नये सवेरे के साथ नये दिनसे बहोत सारी उम्मीदे लिए उठता है.दिन की गुजरता है.फिर दुसरे दिन के सुरज आने का इंतजार रहता है.क्यो? सुरज रोज निकलता है,हम सब यही कहेते है.वह तो असल मे रोज हम सब की उम्मीद पूरा करने और फिक्र को खत्म करने  केलिए आता है.बिना किसीं मतलब, स्वार्थ, लालच के हमारी जिंदगी मे नई किरणे लिए,है ना!
     सुरज  ये अल्लाह की बहोत ही अजीम तोहाफा है. सारे दुनिया भर के इंसान मर्द हो या औरत,चरनेवाले चरिनदे हो, या उडणेवाले परिंदे,छोटी सी घास हो ,या बडे बडे पेड हर जानदार की जरूरत है सुरज.क्या इससे कोई थोडी इंकार कर सकता है! हम  ज्यादा गर्मी में भले ही छाँव में किसी पेड़ या ए सी कमरे में ठहर जाते है,मगर दिन वक्त से पहले ग़ुरूब(अस्त) हो जाये कोई भी नही चाहता.जब तक सूरज का उजाला होता है.जिस्म में एनर्जी भारी होती है.शाम के बाद लाइट की बिजली आँखो को मुंदने से रोकती नही.
     मैं जब जब सूरज को देखता हूँ ,तो बहोत मुतास्सिर, प्रेरित होता हूँ.सूरज जब हम सब केलिए रोज आता है,तो सूरज की किरणें दूर दूर पहुचती है.और किरणों का असर  होता है के जब तक सूरज रहता है अंधेरा छिपा ही रहता है.

   #सूरज को कभी हमने अमीर गरीब का फर्क करते हुए देखा है? अमीर तो अक्सर कमरे में बंद रहता है.गरीबों केलिए उजाला करता है के,ताकि वो मेहनत करे.आपना और परिवार का पेट भर सके.
     अमीर और गरीबी का कोई फर्क सूरज जानता ही नही. गरीब हो या अमीर तपती धूप का चटका सब को एकसा ही होता है.दिन में गरीब भी कुछ कमा लेता है और अमीर भी अपनी रईसी को बढ़ा लेता है.

   # सूरज जात पात कभी करते हुए किसीने देखा है.वो सुवर्णो को भी रोशनी देता है,पिछडो को भी रोशनी देता है. हिन्दू,मुस्लिम, सिख,ईसाई,पारसी,जैन,यहूदी, किसी को जात को बढा जानकर ज्यादा रोशनी देते देखा? या कम जाती का जानकार कम रोशनी दी है?
      सूरज कीसीभी इंसानी जातिभेद के चक्कर मे नही पड़ता.उसकी नजर में कोई छूत है ना अछूत है.कोई काला है ना गोरा.ना वर्णों के एतेबार से कोई भी क्रम है.ना वो जानता है के कोई मुख से पैदा हुआ ना कोई पैर से.वो हर एक को रोशनी देता है.जितनी चाहे वो लेलो.

     #सूरज की किरणें मंदिर के कलश भी पहुंचती है,मस्जिद के मिनारो पर भी पहुंचती है,गिरिजाघर के डोम पर भी पहुंचती है,अग्यारी भी पहुंचती है,बौद्ध मंदिर भी पहुंचती है दुनिया मे जितनी अलग अलग मजहबकी की इबादतगाह होती है.सब जगह सूरज की रोशनी बिना धर्म भेद करे पहुंचती है.
     सूरज की रोशनी को हमने कभी कीसीभी मजहबी इबादतगाहोसे किनारा करते नही पाया.कभी कम कभी ज्यादा रोशनी जाती धर्म की ऊंच नीचता से कहा नजर आती है.सूरज का एक ही काम सभी को रोशनी देना.

    #सूरज की रोशनी पाने के लिए घर के कुंडी के छोटे छोटे पौधे भी अपने को रोशनी की तरफ झुकते है.सूरज की रोशनी मिलते ही कुंडी के पौधे खिल जाते है.न पाने पर कुछ मुरझा जाते है.किसान की खेती में अच्छे अनाज की पैदावार के लिये सूरजकी जरूरत क्यो?
     सूरज की जरूरत पेड़ पौधोंको भी होती है.हम गर गौर से देखे तो घर की कुंडी में लगा हुआ पौधा हम उसे अच्छा खाद दे.हिफाजत करे पर गर उसे सूरज की रोशनी ना मिले तो, कुछ अकसा सा रह जाता है.मगर उसे सूरज की रोशनी मिले तो खिलखिला उठता है.अनाज की पैदावार सूरज की रोशनी
 से बढ जाती है.किसान की जिंदगी में खुशियां भर देता है.

     #मौसम कोई भी हो,सर्दी में इंसान खासतर सूरज की गर्मी का इंतजार करता है.बारिश के बरसते भी धूप का इंतजार रहता है.कडी गर्मी के बाद भी कोई दिन को वक्तसे पहले ढलना नही चाहता.
     सर्दिके मौसम में इंसान सूरज की गर्मी,बारिश के बाद निकले सूरज बच्चे से लेकर बूढे तक कि जिंदगी में खुशियां नायाब अहसास दिलाता है.जब तक दिन रहता है.उम्मीद बनी रहती है.इसलिए सख्त गर्मी के बावजूद वो वक्त से पहले दिन को ढालना कभी पसंद करता ही नही.
     #जिंदगी में बहोत सारी मुसीबते आती है,बहोत सारा नुकसान होता है ,हौसले पस्त होते है,अपने चल बसते है.गमगिन माहौल पैदा होता है.बड़े नुक़सानात कारोबार में उठाने पड़ते है.
      दिन के बदलते,नए दिन के सूरज के आते ही गमो को दूर करता है,अपनो के चल बसने को भुला देता है,नुकसान को नफे में बदल देता है. गमगीन माहौल को खुशियोसे बदल देता है.
      सूरज हिदायत है इंसान के लिए,वो पैगाम देता है अमीर अमीरी का गरूर ना करे,गरीब गरीबीसे हौसला पस्त ना करे,गम को लेकर ना बैठे,नुकसान का गम ना करे, कोई वर्ण से ,जातसे ,रंग काले या गोरे से बड़ा नही होता. आदमी बड़ा होता है अच्छे कर्म से.इंसान इंसानमें भेद ना करे.लोगोंमें खुशियां बाटते रहे.सूरज कडी सर्दी में अपने गर्मीको कायम रखता है.बारिश में घने बादलों अपने पीछे छुपाने बावजूद अपनी उजाला हम तक पहुँचाकर दिन निकलने का रुकावट दूर कर सफेदी फैलाकर उसके आने का अहसास कराता है. सूरज अपना अच्छा कर्म बिना किसी मतलब के करता रहता है. हर रोज हर दिन रोशनी लिए,नया सवेरा लिए.....

         (अफ़ज़ल सय्यद,अहमदनगर)
         bjsmindia@gmail. com


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